शनिवार, 12 अक्तूबर 2013

अपने बैंक खाते को हॅकर्स से कैसे बचाएँ

आपने अखबारोँ में लोगोँ के बँक अकाउन्ट से  हॅकर्स द्वारा पुंजी चुराये जाने की खबरें पढी होँगी . कई लोगोँ की जिन्दगी भर की जमा पूंजी इस तरह चोरी हो गयी है .

अगर आपके बैंक अकाउंट में आपने बड़ी राशी जमा की हुई है और उस अकाउंट से पैसे निकालने के लिये आप एटीएम् कार्ड या डेबिट कार्ड और इन्टरनेट बैंकिंग की सुविधा का प्रयोग करते हैं तो आपको भी अपने जीवन भर की जमा पूंजी से हाथ धोने का खतरा है .

इससे बचा कैसे जाय. हर कोई इसके लिये अलग अलग तरह की सावधानियाँ  बरतने की सलाह देता है. लेकीन एटीएम् कार्ड या डेबिट कार्ड और इन्टरनेट बैंकिंग का आप चाहे जितनी सावधानी से प्रयोग करें, किसी न किसी समय, किसी न किसी स्थान पर आपके बैंक अकाउंट की जानकारी चोरी हो जाने की संभावना बनी रहती है.

इस स्थिती से निबटने के लिए हमें ऐसे उपायोँ का प्रयोग करना होगा जिसमे निश्चित रूप से हम सुरक्षीत महसूस कर सकें .

मेरा एक सुझाव है. यह एक सरल सा उपाय है जिस से आप अपनी जीवन भर की जमा पूंजी चोरोँ के हाथ लगने से बचा सकते हो.

मेरा सुझाव यह है की आप जिस बैंक अकाउंट में बड़ी राशी रखते हैं उस अकाउंट के साथ  एटीएम् कार्ड या डेबिट कार्ड और इन्टरनेट बैंकिंग की सुविधा न लें .

अगर आपको इन सुविधाओं का प्रयोग करना आवश्यक हो तो किसी अन्य बैंक में एक अलग खाता खोलें, और उस खाते में एक बार में महीने भर के खर्च के हिसाब से पैसे जमा करें और उस खाते से आप एटीएम् कार्ड या डेबिट कार्ड और इन्टरनेट बैंकिंग का प्रयोग करें .

केवल इतनी सी सावधानी बरतने से , कभी आपके खाते , एटीएम् कार्ड या डेबिट कार्ड और इन्टरनेट बैंकिंग अकाउंट के हॅक होने पर आपके जमा पूंजी वाले खाते को कोई नुकसान नहीं होगा.

लोगोँ का बड़ा नुकसान इसीलिए होता है क्योँकि उनकी जमा पूंजी वाले अकाउंट के साथ वह  एटीएम् कार्ड या डेबिट कार्ड और इन्टरनेट बैंकिंग का प्रयोग करते हैं .

लेकीन इसमें आपको दो अलग अलग बैंको में खाते खोलने होँगे, जब तक की बैंकोँ की तरफ से खातोँ की सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम नहीं किये जाते.

बैंकोँ को मेरा एक सुझाव है. इस समय की उनकी जो व्यवस्था है उसमे बैंक के खाते में जमा सारी पूंजी एटीएम् कार्ड या डेबिट कार्ड और इन्टरनेट बैंकिंग के माध्यम से प्रयोग में लाई जा सकती है. जब की किसी व्यक्ती को इस तरह की जरूरत शायद ही कभी महसूस होती हो.

इस व्यवस्था  में एक छोटासा परिवर्तन कर के इन खातोँ को जादा सुरक्षित बनाया जा सकता है . करना केवल इतना है की उस खाते में बचत और खर्चे के लिए दो विभाग बनाये जाए और सारी जमा पूंजी बचत विभाग में हो, और जब किसी व्यक्ती को एटीएम् कार्ड या डेबिट कार्ड और इन्टरनेट बैंकिंग के प्रयोग के लिए राशी का आबंटन करना हो तो उसे स्वयं बैंक में जाकर पर्चा भरकर इसकी अनुमती/ जानकारी बैंक को देनी पड़े, उसी प्रकार जैसे हम  इस समय बैंकोँ में पैसे निकलने के लिए पर्ची का प्रयोग करते हैं .

इस आबंटित राशी को फिर वह व्यक्ती एटीएम् कार्ड या डेबिट कार्ड और इन्टरनेट बैंकिंग के प्रयोग के लिए इस्तेमाल करे, और उस राशी के ख़त्म होने पर दुबारा बैंक में जाकर फिर पर्ची भरे. शायद आम ग्राहक को महीने में एक बार बैंक जाकर इस प्रकार से खर्चे के लिए राशी का आबंटन करना पर्याप्त होगा.

ऐसी स्थिती में अगर कभी उस व्यक्ती का अकाउंट  हॅक हो जाता है तो केवल उसकी खर्चे के लिए आबंटित राशी ही चोरोँ के हाथ लगेगी और बाकी जमा राशी सुरक्षित रह सकेगी .

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